आदित्य = सूर्य भगवान देवता; हृदय = हृदय से प्रसन्न करने को; स्तोत्र = मंत्रो का समूह; (Om Aditya Hridaya Stotra)
आदित्यहृदय स्तोत्र, वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड में लिखे गए मंत्रों में से एक प्रमुख और पूज्य मंत्र है। यह मंत्र श्री राम के युद्ध के समय अगस्त्य ऋषि द्वारा सूर्य देव की स्तुति करने की सलाह देने पर प्रकट हुआ था। आदित्यहृदय स्तोत्र में कुल ३१ श्लोक हैं, जिनका पाठ हृदय को मजबूत बनाने में सहायक होता है और सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है।
आजकल, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ लोग नौकरी में पदोन्नति, धन प्राप्ति, प्रसन्नता, आत्मविश्वास बढ़ाने और सफलता के सभी क्षेत्रों में सहायक मानते हैं।
आदित्य हृदय स्तोत्र के नियमित पाठ से अप्रत्याशित लाभ मिलता है। यह मंत्र सरकारी नौकरी में पदोन्नति, धन प्राप्ति, प्रसन्नता, आत्मविश्वास बढ़ाने और सफलता के सभी क्षेत्रों में सहायक होता है। इसके पाठ से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सादे शब्दों में कहें तो आदित्य हृदय स्तोत्र अनेक क्षेत्रों में चमत्कारी सफलता प्रदान करता है। यहां पूरा मंत्र पढ़ें ।
आदित्य हृदय स्तोत्र विधि:
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ प्रथा 8:00 बजे बजे से पहले करना उचित है, आदित्य हृदय स्तोत्र को पुरे विधि के साथ किया जाना चाहिए सुबह स्नान कर के सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए, साथ ही एक लाल रंग का पुष्प अर्पित करना चाहिए। इसके पश्यत् आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें ।
आदित्य हृदय स्तोत्र सुने / Listen to Aditya Hridaya Stotra: by Prem Prakash Dubey: Aditya Hridaya Stotram Male Version
आदित्य हृदय स्तोत्र lyrics:
आदित्य हृदय स्तोत्र विनियोगः
ओम अस्य आदित्यह्रदय स्तोत्रस्य अगस्त्यऋषि: अनुष्टुप्छन्दः आदित्यह्रदयभूतो भगवान् ब्रह्मा देवता निरस्ताशेषविघ्नतया ब्रह्माविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः।
Here is the literal Aditya Hridaya Stotra meaning in English. For verse to verse meaning scroll down to read more where we have provided meanings and translation so that you can understand what is being preyed/ urged to Sun God in the form of Mantra.
Aditya = the Sun God; Hridayam = that which is especially nourishing and healing for the heart; Stotram = the composition of mantras;
Rama, exhausted and about to face Ravana ready for a fresh battle was lost deep in contemplation. The all knowing sage Agastya who had joined the gods to witness the battle spoke to Rama thus.
राम राम महाबाहो शृणु गुह्यं सनातनम् ।सनातनम् येन सर्वानरीन्वत्स समरे विजयिष्यसि ॥ ३॥
Verse (3)
Oh Rama, mighty-armed Rama, listen to this eternal secret which will help you destroy all your enemies in battle.
Worship the One, possessed of rays when he has completely risen, held in reverence by the Devas and Asuras, and who is the Lord of the universe by whose efflugence all else brighten.
He indeed represent the totality of all celestial beings. He is self-luminous and sustains all with his rays. Furthermore, he nourishes and energizes the inhabitants of all the worlds and the race of Devas and Asuras.
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः । महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः ॥ ८॥
Verse (8)
He is Brahma, Vishnu, Shiva, Skands, Prajapati. He is also Mahendra, Kubera, Kala, Yama, Soma and Varuna.
He is the son of Aditi, creator of the universe, inspirer of action, transverser of the heavens. He is the sustainer, illumination of all directions, the golden hued brilliance and is the maker of the day.
He is the Omnipresent One who pervades all with countless rays. He is the power behind the seven sense organs, the dispeller of darkness, bestower of happiness and prosperity, the remover of misfortunes and is the infuser of life.
He is the primordial being manifesting as the Trinity. He ushers in the Day and is the teacher (of Hiranyagarbha), the fire-wombed, the son of Aditi, and has a vast and supreme felicity. He is the remover of intellectual dull-headedness.
He is the Lord of the firmament, dispeller of darkness. Master of all the Vedas, he is a friend of the waters and causes rain. HE has crossed the Vindya range and sports in the Brahma Nadi.
He, whose form is circular and is colored yellow, is intensely absorbed and inflicts death. He is the destroyer of all and is the Omniscient one being exceedingly energetic sustains the universe and all action.
आदित्यहृदयम् नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावनः । तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन्नमोऽस्तु ते ॥ १५॥
Verse (15)
He is the lord of stars, planets and all constellations. He is the origin of everything in the universe and is the cause of the luster of even the brilliant ones. Salutations to Thee who is the One being manifest in the twelve forms of the Sun.
Salutations to the One who ordains victory and the prosperity that follows. Salutations to the one possessed of yellow steeds and to the thousand rayed Lord, and to Aditya.
Salutations to the Terrible one, the hero, the one that travels fast. Salutations to the one whose emergence makes the lotus blossom and to the fierce and omnipotent one.
Salutations to the Lord of Brahma, Shiva and Achyuta, salutations to the powerful and to the effulgence in the Sun that is both the illuminator and devourer of all and is of a form that is fierce like Rudra.
Salutations to he transcendental Atman that dispels darkness, drives away all fear, and destroys all foes. Salutations also to the annihilator of the ungrateful and to the Lord of all the stellar bodies.
Salutations to the Lord shining like molten gold, to the transcendental fire, the fire of supreme knowledge, the architect of the universe, destroyer of darkness and salutations again to the efflugence that is the Cosmic witness.
Salutations to the Lord who destroys everything and creates them again. Salutations to Him who by His rays consumes the waters, heats them up and sends them down as rain.
Salutations to the Lord who abides in the heart of all beings keeping awake when they are asleep. He is both the sacrificial fire and the fruit enjoyed by the worshipers.
वेदाश्च क्रतवश्चैव क्रतूनां फलमेव च । यानि कृत्यानि लोकेषु सर्व एष रविः प्रभुः ॥ २४॥
Verse (24)
The Sun is verily the Lord of all action in this universe. He is verily the Vedas, the sacrifices mentioned in them and the fruits obtained by performing the sacrifices.
॥ फल श्रुतिः ॥ एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च । आदित्यहृदयम् कीर्तयन् पुरुषःकीर्तयन्पुरुषः कश्चिन्नावसीदति राघव ॥ २५॥
Verse (25)
Raghava, one who recites this hymn in times of danger, during an affliction or when lost in the wilderness and having fear, he will not lose heart (and become brave).
Gazing at the sun with devotion, He recited this hymn thrice and experienced bliss. Purifying Himself by sipping water thrice, He took up His bow with His mighty arms.
Then knowing that the destruction of the lord of prowlers at night (Ravana) was near, Aditya, who was at the center of the assembly of the Gods, looked at Rama and exclaimed ’Hurry up’ with great delight.
इति आदित्यहृदयं मन्त्रम् ॥ (And here ends Aditya Hridaya Stotra)
The English translation is made to be as accurate as possible and may contain some words that are not the literal meaning of the original word, to get the more accurate contextual meaning please refer to either Sanskrit or Hindi Stotra.
आदित्य हृदय स्तोत्र हे वाल्मीकि रामायणातील युद्ध काण्डात दिलेले मंत्रांमध्ये एक मुख्य आणि पूजनीय मंत्र आहे. या मंत्राने तुम्हाला बुद्धी मजबूत करण्याची शक्ती प्राप्त होईल. त्यातील ३१ श्लोके आहेत, ज्यांना वाचून तुमच्या हृदयाला मजबूती मिळते आणि सूर्यदेवाची कृपा मिळते.
आजच्या काळात, आदित्य हृदय स्तोत्राचे पाठ केल्याने लोकांना कामात वृद्धी, धन लाभ, आनंद, आत्मविश्वास वाढण्यात मदत होते आणि सर्व क्षेत्रांमध्ये सफलता मिळते.
आदित्य हृदय स्तोत्राचे नियमित वाचन करण्याने अनपेक्षित लाभ होते. हा मंत्र सरकारी क्षेत्रात पदोन्नती व धन प्राप्तीत मदत करतो आणि सफलतेत साथीदार बनतो. त्यामुळे हा मंत्र सर्व कामांमध्ये अचूक ठरते आणि सर्व मनोकामनांची पूर्ती करते. सांगण्याचं अर्थ, आदित्य हृदय स्तोत्र विविध क्षेत्रांमध्ये अद्वितीय सफलता प्रदान करते.
आदित्य हृदय स्तोत्राची पद्धत:
आदित्य हृदय स्तोत्राचे पाठ सकाळी 8:00 वाजताच्या पूर्वी करणे उत्तम आहे. सकाळी उठल्यावर स्नान करून सूर्य देवाची पूजा करणे; व त्या नंतर तांब्याचा लोटं/ चरू ने जलाभिषेक करावे, सोबतच एक लाल फुलं अर्पण करणे जास्त चांगलेच. त्यानंतर, आदित्यहृदय स्तोत्राची वाचन करावी.
Aditya Hrudaya Stotra in Marathi/ आदित्य हृदय स्तोत्र मराठीत
आदित्य हृदय स्तोत्र विनियोगः
ओम अस्य आदित्यह्रदय स्तोत्रस्य अगस्त्यऋषि: अनुष्टुप्छन्दः आदित्यह्रदयभूतो भगवान् ब्रह्मा देवता निरस्ताशेषविघ्नतया ब्रह्माविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः।
आदित्य हृदय स्तोत्राचे पाठ केल्यावर आपापल्या नित्य कमला एक नष्टे ने लागावे, पण कोणत्या हि बिन कामी कामात वेड वाया घालवू नये हे महत्वातचे. खालील दिल्या प्रमाणे तुम्ही आदित्य हृदय स्तोत्र ऐकू हि शकता ज्या मुळे तुम्हाला माहित होईल कि याचा उच्चारण कसा आहे, परंतु वाचलेले जास्त महत्वाचे.
आदित्य हृदय स्तोत्र याला PDF स्वरूपात डाउनलोड करा नेहमी साठी येथे क्लिक करून!!
आदित्य हृदय स्तोत्र के लाभ व उपयोग – Aditya Hridaya Stotra Benefits in Hindi
प्राचीन धर्मग्रंथों के हृदय में ज्ञान का एक मनोरम खजाना छिपा है जिसने पीढ़ियों से इस धरती के मनुष्य को मंत्रमुग्ध कर दिया है। आदित्य हृदय स्तोत्र – मानव जाति को लाभान्वित कर सकता है। यह पवित्र मंत्र, जो कि वाल्मिकी रामायण के छंदों में पाया जाता है, सूर्य भगवान के लिए एक कालातीत प्रार्थना है, जो प्रकाश का दिव्य स्रोत और पृथ्वी पर जीवन का कारन है।
आदित्य हृदय स्तोत्र की सुंदरता इसकी प्राचीन उत्पत्ति से कहीं अधिक है। ऐसा माना जाता है कि यह प्रचुर मात्रा में कल्याण लाता है, और जो लोग इसे भक्तिपूर्वक पढ़ते हैं उनके जीवन को समृद्ध बनाता हैं। शारीरिक स्वस्थता से लेकर मानसिक स्पष्टता तक, आध्यात्मिक जागृति से लेकर सांसारिक सफलता तक, यह मंत्र जीवन के हर पहलू को छूने की शक्ति रखता है।
Aditya Hridaya Stotra Benifits in Hindi / क्या है आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ की महिमा वलाभ?
यदि आप चाहते हैं कि आपकी चमक बढ़े, आपका तेज बढ़े, यदि आप चाहते हैं कि आपकी शक्ति सूर्य के समान तेजस्वी हो, तो भगवान आदित्य (सूर्य) की अत्यंत भक्तिपूर्वक आराधना करना एक मार्ग है।
यह मार्ग युद्धों और परीक्षणों में विजय प्राप्त करने के लिए सटीक है, यह मार्ग सटीक है यदि आप किसी भी प्रकार के युद्ध में हैं, चाहे वह जीवन का युद्ध हो, चाहे वह शिक्षा का युद्ध हो, चाहे वह प्रतिस्पर्धा परीक्षा का युद्ध हो, चाहे वह कोई भी युद्ध हो। या हो शांति का युद्ध, यह उन सभी क्षेत्रों में विजय प्राप्त करने के लिए बहुत अच्छा है।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से अनेक लाभ मिलते हैं। ऐसा कहा जाता है की :
मानसिक स्पष्टता : नियमित पाठ मानसिक स्पष्टता बढ़ाता है और ध्यान केंद्रित करता है, निर्णय लेने और समस्या-समाधान में सहायता करता है। यह मनो-बल और साहस की भावना पैदा करता है, जिससे आपको दृढ़ता के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलती है।
सामराज्य : राज्य प्राधिकरण, या सरकार, या लंबे समय से चल रहे अदालती मामलों से संबंधित परेशानियों से निपटने में मदद करता है। पिता से संबंध सुधरते हैं। प्रशासनिक और सरकारी क्षेत्र की नौकरी पाने में मदद करता है।
स्वास्थ्य : बार-बार होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, मुख्य रूप से हड्डी और आंखों, को ठीक करने की प्रक्रिया को तेजी सेसुधार करने में मदद करता है। नियमित जप शरीर की ऊर्जा को संतुलित करके शारीरिक हित को बढ़ावा देता है।
आध्यात्मिक विकास की वृद्धि : यह स्तोत्र एक आध्यात्मिक यात्रा है, जो आंतरिक शांति, ध्यान और परमात्मा के साथ गहरे संबंध को बढ़ावा देती है। यह स्तोत्र भगवान सूर्य के आशीर्वाद का आह्वान करता है, सकारात्मक ऊर्जा लाता है और आपके के जीवन से अंधकार को दूर करता है।
आदित्य हृदय स्तोत्र के लाभ राशि अनुसार
परिवर्तन के लिए शक्तिशाली साधन के रूप में मंत्रों का उपयोग प्राचीन काल से किया जाता रहा है। मंत्र उच्चारण से उत्पन्न कंपन हमारा आंतरिक अस्तित्व का ब्रह्मांड के साथ प्रतिध्वनित होते हैं, जिससे एक सामंजस्यपूर्ण सिधाई बनती है। आदित्य हृदय स्तोत्र, अपने दिव्य छंदों के साथ, मनुष्य की चेतना को ऊपर उठाने और आंतरिक क्षमता को खोजने में मंत्र की प्रभावकारिता का एक शक्तिशाली उदाहरण है।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, यह बिना किसी शंका के सभी के लिए लाभकारी है, लेकिन विशेष रूप से प्रत्येक राशि के लिए इसके कुछ निश्चित लाभ हैं। (ये सामान्य तौर पे होने वाले लाभ हैं, अधिक सटीक विश्लेषण के लिए यह सलाह दी जाती है कि आप आपकी जन्म कुंडली के अनुसार क्या उपयुक्त है और क्या फायदेमंद है, इसका किसी अच्छे ज्योतिषी से परामर्श लें)
राशि अनुसार लाभ का विवरण निचे दिया गया है, अपने जीवन में सफलता के लिए आप अपनी राशि पता करे और पढ़े:
मेष राशि : औपचारिक शिक्षा और उच्च शिक्षा।
सिंह राशि: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को बढ़ाता है।
धनु राशि : सौभाग्य बढ़ाता है।
वृषभ राशि : वित्तीय स्थिरता, धन और भौतिक जिवन को बढ़ावा देता है।
कन्या राशि : नौकरी और करियर, विदेश यात्राएं।
मकर राशि : लंबी उम्र और जीवन बचाना।
मिथुन राशि, तुला राशि, कुंभ राशि : रिश्तों में संतुलन, खुशहाल वैवाहिक जीवन स्वास्थ्य, पारिवारिक बंधन और निर्णय लेने को बढ़ावा देता है।
कर्क राशि, वृश्चिक राशि, मीन राशि : करियर में वृद्धि, नौकरी में पदोन्नति और अनुशासन को बढ़ावा देता है।
ऐसे कई लोग है जिन्होने इस स्तोत्र का पाठ लिया है और सूर्य देव की गहन आराधना करते हुए अपने जेवण को लाभांन्वित किया है, आप भी इन्ही लोगो के के साथ इस अध्यात्म ली आराधना में शामिल हो सकते है।
कई लोगों ने इस कालातीत स्तोत्र की आध्यात्मिक गहराइयों, ऐतिहासिक उत्पत्ति और व्यावहारिक अनुप्रयोगों का अहसास किया है, और उन कई पहलुओ पर प्रकाश डाला है जिनसे यह अधिक समृद्ध और पूर्ण जीवन की ओर आपके मार्ग को रोशन कर सकता है। जैसे ही आप इस यात्रा पर आगे बढ़ेंगे, आपको अहसास होगा कि कैसे यह दिव्य स्तोत्र आपको आदित्य (सूर्य) भगवान के उज्ज्वल आशीर्वाद दिलाता है, एवं प्रकाश और अनुग्रह से भरे जीवन के दरवाजे खोलने के लिए सशक्त बनाता है।
In the heart of ancient Hindu 🚩 scriptures, there lies a delightful treasure of wisdom that has charmed the souls for generations. The Aditya Hridaya Stotra- benefits the multitude of humankind. This sacred chant, found within the verses of Valmiki Ramayana, is a timeless prayer to the Sun God 🕉, who is the celestial source of light and the life on the earth.
The beauty of Aditya Hridaya Stotra transcends its ancient origins. It’s believed to bring forth the abundance of blessings, enriching the lives of those who recite it with devotion. From physical wellness to mental clarity, from spiritual awakening to worldly success, this mantra is thought to hold the power to touch every aspect of life.
Aditya Hridaya Stotra Benefits
If you want your radiance to increase, your brilliance to increase, if you want your power to be as bright as the sun, then Worship to Lord Aditya (Surya) with immense devotion- is a path. This path is precise to achieve victory in wars and trials, this path is exact if you are in any kind of war, whether it is the war of life, be it a war of education, be it a war of competition, be it a war of peace, it is very good for achieving victory in all of those fields.
Enhance Mental Clarity: Regular recitation enhances mental clarity and sharpens focus, aiding in decision-making and problem-solving. It instills a sense of self-assurance and courage, helping you face life’s challenges with resilience.
State Authority: Helps in dealing with the troubles related to state authority, or government, or long-running court cases. Improves relation with Father. Helps to gain Administrative and Government Sector Job.
Health: Helps faster response to curing repeated health related issues, mainly bone and eyes. The regular chanting can promote physical well-being by harmonizing the body’s energy.
Invoke Spiritual Growth: The Stotra is a spiritual journey, fostering inner peace, mindfulness, and a deeper connection with the divine. The Stotra invokes the blessings of Lord Surya, ushering in positive energy and dispelling darkness from one’s life.
Mantras have been utilized for millennia as powerful tools for transformation. The vibrations produced by mantra recitation resonate with our inner being and the universe, creating a harmonious alignment. Aditya Hridaya Stotra, with its divine verses, is a potent example of mantra’s efficacy in elevating one’s consciousness and unlocking inner potential.
Aditya Hrudaya Stotra can be recited by any person it is beneficial for all without any thoughts, but it is specially have certain benefits particularly for each Rashi. (These are general benefits, for more precise analysis includes what is well suited and what’s benificial according to your Janm Kundali consult a good astrologer)
For the success of in your life, see which Zodiac sign (Rashi) of you and are what benefits will you could get accordingly if you follow this path:
Aries (Mesha Rashi): Formal education and Higher education.
Leo (Simha Rashi): Boosts health related problems.
Sagittarius (Dhanu Rashi): Enhances good luck.
Taurus (Vrishabha Rashi): Promotes financial stability, wealth and material well-being.
Virgo (Kanya Rashi): Job and Career, Foreign visits.
Capricorn (Makara Rashi): Long Life and saving life.
Gemini (Mithuna Rashi), Libra (Tula Rashi), Aquarius (Kumbha Rashi): Promotes balance in relationships, happy Marital life health, family bonds and decision-making.
Cancer (Karka Rashi), Scorpio (Vrishchika Rashi), Pisces (Meena Rashi): Promotes career growth, Promotions in job and discipline.
Join on a journey with many who already on this path through the profound verses of the Aditya Hridayam Stotram as we explore the advantages it offers to those who invite its resonance into their lives.
Many have unveiled the spiritual depths, historical origins, and practical applications of this timeless Stotram, shedding the light on the multiple ways it can illuminate your path towards a more enriched and fulfilled life. As you embark on this journey, you’ll discover how this celestial Stotram can empower you to harness the radiant blessings of the Aditya (Surya) God and unlock the doors to a life filled with light and grace.
“Your Comprehensive Pocket Aditya Hridaya Stotra PDF in Hindi, Sanskrit, and English”
Aditya Hridaya Stotra, a revered ancient text, holds profound spiritual significance. In this, we explore the power and benefits of Aditya Hridaya Stotra, providing you with a comprehensive PDF guide available in Hindi, Sanskrit, and English Language. Let’s delve into the transformative potential of this sacred mantra.
आदित्य हृदय स्तोत्र, एक पवित्र प्राचीन पाठ, एक गहरा आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस लेख में, हमने आदित्य हृदय स्तोत्र को PDF रूप में प्रस्तुत किया हैं। यह लेख आपको हिंदी, संस्कृत एवं अंग्रेजी में एक व्यापक PDF गाइड उपलब्ध कराता है। आइए इस अनोखे मंत्र की परिवर्तनकारी क्षमता के बारे में पढ़े और जानें।
The Aditya Hridaya Stotra Multilingual PDF Book
Our comprehensive PDF guide brings the spiritual richness of Aditya Hridaya Stotra to your fingertips. Available in Hindi, Sanskrit, and English, this meticulously crafted document ensures accessibility to a wider audience. Whether you are well-versed in these languages or just beginning your journey, our PDF provides an opportunity to understand, chant, and contemplate the Stotra in the language that resonates with you the most.
(Scroll For Download)
Aditya Hridaya Stotra is a timeless gem of Valmiki Ramayan. Composed by Sage Agastya, it lauds the glory of Lord Surya, the sun god, and is renowned for its spiritual potency. This sacred hymn is believed to bestow divine blessings, inner strength, and clarity of mind upon those who recite it with devotion. Whether you’re seeking spiritual enlightenment or mental fortitude, the Aditya Hridaya Stotra has something profound to offer.
आदित्य हृदय स्तोत्र वाल्मीकि रामायण का एक अतुल्य रत्न है। ऋषि अगस्त्य द्वारा रचित, यह भगवान सूर्य की महिमा का गुणगान करता है, और अपनी आध्यात्मिक शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि यह पवित्र स्तोत्र उन लोगों को दिव्य आशीर्वाद, आंतरिक शक्ति और मन की स्पष्टता प्रदान करता है जो इसे भक्तिपूर्वक पढ़ते हैं। चाहे आप आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश कर रहे हों या मानसिक दृढ़ता की, आदित्य हृदय स्तोत्र में अदिव्तीय अनुभव है।
Aditya Hridaya Stotra PDF Download Free PDF below:
Our PDF guide not only provides the Aditya Hridaya Stotra in three languages but also offers pronunciation guides for those who are new to Sanskrit. It’s designed to be user-friendly, making it easy for anyone to start their Aradhna to Lord Surya (Sun) with this profound mantra.
हमारा पीडीएफ गाइड न केवल तीन भाषाओं में आदित्य हृदय स्तोत्र प्रदान करती है बल्कि उन लोगों के लिए सही उच्चारण भी प्रदान करती है जो संस्कृत में नए हैं। इसे उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया गया है, जिससे किसी के लिए भी इस मंत्र के साथ भगवान सूर्य की गहन आराधना शुरू करना आसान हो जाता है।
Download-> Simple Aditya Hridaya Stotra pdf download in Hindi & Sanskrit
Download-> Aditya Hridaya Stotra pdf download in English & Hindi
इस लेख में हमने पंक्तिबद्ध तरीके से आदित्य हृदय स्तोत्र के हिंदी भावार्थ ऐवम् अनुवाद का विवरण दीया गया है। ये उन साधको के लिए है जिनके लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का मूल अर्थ जानना हो, किसी भी मंत्र को पढ़ने के लिए या जप करने से पहले उसका मतलब पता होना चाहिए। उसका मतलब पता होने पर मंत्र का लाभ अधिक होता है इसलिए आदित्य हृदय स्तोत्र का एक बार भावार्थ अवश्य पढ़ें।
हर जगह हम चाहते हैं कि हमें सफलता मिले और विजय की प्राप्ति हो। पराजय कौन चाहता है ? जब बात विजय की होती है जब बात सफ़लता की होती है तब ज्योतिष में सबसे ज्यादा अग्रगण्य होते हैं सूर्यदेव। और उनकी विधिवत उपासना की जाए तो काठिन से कठिन रास्ते क्यों ना हो बड़ी से बड़ी मुश्किल क्यों ना हो आपको विजय की प्राप्ति हो सकती है। इसी यश प्राप्ति का मार्ग शुरू होता है आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ के साथ।
(श्लोक 1-2 भावार्थ) उधर श्री रामचन्द्रजी युद्ध से थककर चिन्ता करते हुए रणभूमि में खड़े थे । इतने में रावण भी युद्ध के लिए उनके सामने उपस्थित हो गया । यह देख भगवान अगस्त्य मुनि, जो देवताओं के साथ युद्ध देखने के लिए आये थे, श्रीराम के पास जाकर बोले ॥
(श्लोक 3)
राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्यं सनातनम् । येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे ॥3॥
(श्लोक 3 भावार्थ) सबके हृदय में रमण करने वाले महाबाहो राम ! यह सनातन गोपनीय स्तोत्र सुनो । वत्स ! इसके जप से तुम युद्ध में अपने समस्त शत्रुओं पर विजय पा जाओगे ॥
(श्लोक 4-5 भावार्थ) इस गोपनीय स्तोत्र का नाम है आदित्यहृदय । यह परम पवित्र और सम्पूर्ण शत्रुओं का नाश करने वाला है । इसके जप से सदा विजय की प्राप्ति होती है । यह नित्य अक्ष्य और परम कल्याणमय स्तोत्र है । सम्पूर्ण मंगलों का भी मंगल है । इससे सब पापों का नाश हो जाता है । यह चिन्ता और शोक को मिटाने तथा आयु को बढ़ाने वाला उत्तम साधन है ॥
(श्लोक 6 भावार्थ) भगवान सूर्य अपनी अनन्त किरणों से सुशोभित हैं । ये नित्य उदय होने वाले , देवता और असुरों से नमस्कृत, विवस्वान् नाम से प्रसिद्ध, प्रभा का विस्तार करने वाले और संसार के स्वामी हैं । तुम इनकी पूजन करो ॥
(श्लोक 7 भावार्थ) सम्पूर्ण देवता इन्हीं के स्वरूप हैं । ये तेज की राशि तथा अपनी किरणों से जगत को सत्ता एवं स्फूर्ति प्रदान करने वाले हैं । ये ही अपनी रश्मियों का प्रसार करके देवता और असुरों सहित सम्पूर्ण लोकों का पालन करते हैं ॥
(श्लोक 8)
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः ।
महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः ॥8॥
(श्लोक 8 भावार्थ) ये ही ब्रह्मा, विष्णु, शिव, स्कन्द, प्रजापति, इन्द्र, कुबेर, काल, यम, चन्द्रमा, वरूण, पितर, वसु, साध्य, अश्विनीकुमार, मरुदगण, मनु, वायु, अग्नि, प्रजा, प्राण, ऋतुओं को प्रकट करने वाले तथा प्रभा के पुंज हैं ॥
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावनः ।
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते ॥15॥
(श्लोक 9-10-11-12-13-14-15 भावार्थ) इन्हीं के नाम अदितिपुत्र, जगत को उत्पन्न करने वाले, सर्वव्यापक, आकाश में विचरने वाले, पोषण करने वाले, प्रकाशमान, सुर्वणसदृश, प्रकाशक, ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के बीज,
रात्रि का अन्धकार दूर करके दिन का प्रकाश फैलाने वाले, दिशाओं में व्यापक अथवा हरे रंग के घोड़े वाले, हजारों किरणों से सुशोभित, अन्धकार का नाश करने वाले, कल्याण के उदगमस्थान,
त्भक्तों का दुःख दूर करने अथवा जगत का संहार करने वाले, किरण धारण करने वाले, ब्रह्मा, स्वभाव से ही सुख देने वाले, गर्मी पैदा करने वाले, दिनकर, सबकी स्तुति के पात्र, अग्नि को गर्भ में धारण करने वाले,
अदितिपुत्र, आनन्दस्वरूप एवं व्यापक, शीत का नाश करने वाले, आकाश के स्वामी, अन्धकार को नष्ट करने वाले, ऋग, यजुः और सामवेद के पारगामी, घनी वृष्टि के कारण, जल को उत्पन्न करने वाले,
आकाश में तीव्रवेग से चलने वाले, घाम उत्पन्न करने वाले, किरणसमूह को धारण करने वाले,मौत के कारण, भूरे रंग वाले, सबको ताप देने वाले, त्रिकालदर्शी, सर्वस्वरूप, महातेजस्वी, लाल रंगवाले,
सबकी उत्पत्ति के कारण, नक्षत्र, ग्रह और तारों के स्वामी, जगत की रक्षा करने वाले, तेजस्वियों में भी अति तेजस्वी तथा बारह स्वरूपों में अभिव्यक्त हैं । इन सभी नामों से प्रसिद्ध सूर्यदेव ! आपको नमस्कार है ॥
(श्लोक 17 भावार्थ) आप जय स्वरूप तथा विजय और कल्याण के दाता है । आपके रथ में हरे रंग के घोड़े जुते रहते हैं । आपको बारंबार नमस्कार है । सहस्रों किरणों से सुशोभित भगवान सूर्य ! आपको बारंबार प्रणाम है । आप अदिति के पुत्र होने के कारण आदित्य नाम से प्रसिद्ध है, आपको नमस्कार है ॥
(श्लोक 19 भावार्थ) (परात्पर-रूप में) आप ब्रह्मा, शिव और विष्णु के भी स्वामी हैं । सूर आपकी संज्ञा है, यह सूर्यमण्डल आपका ही तेज है, आप प्रकाश से परिपूर्ण हैं, सबको स्वाहा कर देने वाला अग्नि आपका ही स्वरूप है, आप रौद्ररूप धारण करने वाले हैं, आपको नमस्कार है ॥
(श्लोक 20 भावार्थ) आप अज्ञान और अन्धकार के नाशक, जड़ता एवं शीत के निवारक तथा शत्रु का नाश करने वाले हैं, आपका स्वरूप अप्रमेय है । आप कृतघ्नों का नाश करने वाले, सम्पूर्ण ज्योतियों के स्वामी और देवस्वरूप हैं, आपको नमस्कार है ॥
(श्लोक 21 भावार्थ) आपकी प्रभा तपाये हुए सुवर्ण के समान है, आप अज्ञान का हरण करने वाले और संसार की सृष्टि करने वाले हैं, तम के नाशक, प्रकाशस्वरूप और जगत के साक्षी हैं, आपको नमस्कार है ॥
(श्लोक 22 भावार्थ) रघुनन्दन ! ये भगवान सूर्य ही सम्पूर्ण भूतों का संहार, सृष्टि और पालन करते हैं । ये ही अपनी किरणों से गर्मी पहुँचाते और वर्षा करते हैं ॥
(श्लोक 23 भावार्थ) ये सब भूतों में अन्तर्यामीरूप से स्थित होकर उनके सो जाने पर भी जागते रहते हैं । ये ही अग्निहोत्र तथा अग्निहोत्री पुरुषों को मिलने वाले फल हैं ॥
(श्लोक 24 भावार्थ) यज्ञ में भाग ग्रहण करने वाले, यज्ञ और यज्ञों के फल भी ये ही हैं । सम्पूर्ण लोकों में जितनी क्रियाएँ होती हैं, उन सबका फल देने में ये ही पूर्ण समर्थ हैं ॥
(श्लोक 25 भावार्थ) राघव ! विपत्ति में, कष्ट में, दुर्गम मार्ग में तथा और किसी भय के अवसर पर जो कोई पुरुष इन सूर्यदेव का कीर्तन करता है, उसे दुःख नहीं भोगना पड़ता ॥
(श्लोक 28-29-30 भावार्थ) उनका उपदेश सुनकर महातेजस्वी श्रीरामचन्द्रजी का शोक दूर हो गया । उन्होंने प्रसन्न होकर शुद्धचित्त से आदित्यहृदय को धारण किया और तीन बार आचमन करके शुद्ध हो भगवान सूर्य की ओर देखते हुए इसका तीन बार जप किया । इससे उन्हें बड़ा हर्ष हुआ । फिर परम पराक्रमी रघुनाथजी ने धनुष उठाकर रावण की ओर देखा और उत्साहपूर्वक विजय पाने के लिए वे आगे बढ़े । उन्होंने पूरा प्रयत्न करके रावण के वध का निश्चय किया ॥
(श्लोक 31भावार्थ) उस समय देवताओं के मध्य में खड़े हुए भगवान सूर्य ने प्रसन्न होकर श्रीरामचन्द्रजी की ओर देखा और निशाचराज रावण के विनाश का समय निकट जानकर हर्षपूर्वक कहा रघुनन्दन ! अब जल्दी करो ॥
Read Here! Aditya Hridayam Stotram in one page properly.
Aditya = the Sun God; Hridayam = that which is especially nourishing and healing for the heart; Stotram = the composition of mantras;
Aditya Hridaya Stotra: A Divine Mantra from Valmiki Ramayana
The Aditya Hridaya Stotra in English for readers, Aditya Hridaya Stotram stands as a profound and venerated mantra found within the pages of Valmiki Ramayana’s epic war episode. This sacred chant was unveiled during Lord Rama’s pivotal battle against the demon king Ravana, upon the sage Agastya’s sage counsel, as a means to pay homage to the Sun God. Comprising 31 verses in total, the recitation of the Aditya Hridaya Stotra is believed to fortify one’s inner strength while invoking the benevolence of the Sun God. To harness the full potential of the Aditya Hridaya Stotra, it is recommended to perform the following ritual.
Aditya Hriday Stotra Method/ Vidhi:
Initiate the recitation of the Aditya Hridaya Stotra before 8:00 am. Perform the recitation with utmost devotion and adherence to the prescribed method. Commence the practice after the morning bathing and purification. Offer water to the Sun God. Accompany this offering with a red-colored flower. Proceed to recite the Aditya Hriday Stotram after these preliminary rituals.
Play this audio along with reading the Aditya Hriday Stotra in English:
Experience the transformative power of this divine chant and explore the path to its complete recitation is here.
Om!!
(Aditya Hridaya Strotra Viniyoagaha)
Asya Aadityahridaya Stotrasyagastya Rishihi Anushtup Chhandaha,
In contemporary times, reciting the Aditya Hriday Stotra has garnered popularity for its perceived efficacy in various facets of life. Many people turn to this powerful mantra to seek job advancements, financial prosperity, personal happiness, enhanced self-assurance, and triumph across all endeavors.
The consistent practice of reciting the Aditya Hridaya Stotra yields remarkable, unforeseen benefits. It is regarded as a potent tool for career growth, financial abundance, emotional well-being, bolstered self-esteem, and resounding success. The mantra’s recitation is believed to fulfill all desires, offering a miraculous pathway to success across a multitude of domains.